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AKAH ANAM9 months ago कुछ लोग आपकी बुराई करते है , क्यों ? संसार में किसकी बुराई नहीं हुई , कौनसा संत , भगवन , देवता या इंसान बचा है , जिसकी बुराई नहीं हुई और जो बुराई कर रहा है , क्या उसकी बुराई नहीं हुई ? बुराई करने वाला ये भूल जाता है कि जब उसकी बुराई होगी तब वो इधर-उधर देखकर व्यथित होता रहेगा । संसार में किसी के भी व्यक्तिगत जीवन की बुराई कभी मत करना । ये शाश्वत नियम है कि जिसने भी किसी के व्यक्तिगत जीवन की बुराई की , प्रकृति ने तीव्र तरीके से उसकी भी बुराई करवाई । यकीन न आये तो इतिहास उठाओ और आपके इर्द गिर्द नजर दौड़कर भी देख लो । आत्म कृपा को उपलब्ध व्यक्ति कभी भी किसी की बुराई नहीं करता , वो तो केवल ज्ञान और अज्ञान की आलोचना करेगा , जगत में फैले पाखंड की आलोचना करेगा , न कि किसी के व्यक्तिगत जीवन की । व्यक्तिगत जीवन से सम्बन्ध किसी बंधक जीव का ही हो सकता है, जैसे वह कहेगा कि "उसने मेरी जमीन ले ली ; मेरा हिस्सा छिन लिया ; मेरा राजपाट ले लिया ; मेरे चेले हड़प लिए ; ये खेत मेरा ; मैं जगत का कल्याणकर्ता ; मै स्वामी ; मै पुण्यीं ; मै सत्संगी ; ये मेरा विरोधी ; ये मेरा समर्थक ; ये मेरा अनुयायी" इत्यादि-इत्यादि । क्या है ये सब , सब मन और मै से ही जुड़े है । बस किसी का "मै" छोटा ; किसी का "मैं" बड़ा । जिसका "मै" बड़ा उसको बड़ी चोट मिलेगी ; जिसका "मैं" छोटा उसको छोटी चोट मिलेगी । खुद को ही भगवन कहने वाले भागे-भागे फिरते है युगो दर युग , एक चेला मुक्त नहीं होता । सामर्थ्य है ही नहीं , सामर्थ्य आएगा कहां से , जीव कभी परमात्मा हो सकता है क्या ? इन्हे किसी ना किसी प्रक्रिया (प्रोसेस)से होकर गुजरना पड़ता है और जहां प्रक्रिया है वहां सत्य नहीं होता । ये सभी तथाकथित भगवन खुद भी प्रक्रिया के हिस्से है और आपको भी हिस्सा बना देते है । आत्म कृपा उपलब्ध व्यक्ति सदैव खुले हाथ होता है, बहते हुए जल की तरह । तुम कौनसा राजपाट लेकर आये थे , कौनसा ज्ञान लेकर आये थे, कौनसी जमीन लेकर आये थे , कौनसे चेले लेकर आये थे । हर चीज को अपना समझना ये सब बंधक जीवो की ही सारी नौटंकिया होती है । और जब प्रकृति का कहर बरपता है तो घड़ियाली आंसू बहाकर सहानुभूति के लिए दूसरों के समक्ष विनम्र होते नजर आते है । यहाँ कुछ भी किसी के बाप की बपौती नहीं है , यहाँ तक की तुम्हारा स्वयं का शरीर भी । जिस जिस ने अपना अधिकार जमाया है बहुत अच्छे से मार खायी है चाहे कितना ही बड़ा बलवान क्यों न रहा हो । जी ! बिल्कूल आपके तथाकथित भगवानों ने भी मार खायी है यदि उन्होंने अधिकार जमाया था तो , नहीं बच पाए वो भी , तो तुम किस खेत की मूली हो ! सत्य का वही हुआ है जिसने सूक्ष्म से सूक्ष्म अधिकार के भाव को समर्पित कर दिया हो ।

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शाश्वत मार्ग के कुछ मुख्य बिंदु* *१.* वो मार्ग सबके लिए समान होगा चाहे कोई भी जीव क्यों न हो । *२.* वो मार्ग किसी योग्यता का मोहताज नहीं होगा, कि कोई अच्छा या बुरा , ज्यादा ज्ञानी या ज्यादा विवेकी या पारखी ही पहुंचेगा । वो मार्ग सबके लिए खुला हुआ है, सामान रूप से । *३.* उस मार्ग में कोई भी परंपरा शामिल नहीं होगी । *४.* उस मार्ग का किसी भी पंथ या धर्म से कोई सम्बन्ध नहीं होगा । *५.* उस मार्ग को बताने के लिए किसी व्यक्ति विशेष की कोई जरुरत नहीं होती , वो स्वतः मिला हुआ ही है , जब हम सभी इंसान निर्मित मार्गो को छोड़ देते है । *६.* उस मार्ग में किसी भी तरह के प्रयास की जरुरत नहीं क्योकि अगर प्रयास होगा तो फिर योग्य तथा अयोग्य की असमानता प्रगट होगी । *७.* उसमे बुद्धि का कोई प्रयोजन नहीं होगा क्योकि अनंत जीव ऐसे है , जिनके पास बुद्धि न के बराबर है लेकिन परमातम उनको भी उपलब्ध है । जो भी उसकी सहजता के सम्मुख आता है, उसको निश्चित ही मिलता है । *८.* उसमे भाग्य और अच्छे कर्मो का कोई सहयोग नहीं होगा । *९.* उसका कोई विशेष रहस्य नहीं होगा , उसको प्राप्त करने का बल्कि सभी रहस्य केवल ठगी करने का तरीका है न कि मुक्ति का । *१०.* उस मार्ग का कोई बिचौलिया या एजेंट नहीं होगा । अगर ये सब बिंदु , आप जिस मार्ग पर चल रहे है , उससे मैच नहीं होते तो समझो की आपको निश्चित ही मोक्ष नहीं मिलेगा । क्योकि वो इंसानी मस्तिष्क की ही रचना है । उसका अमरता से कोई सम्बन्ध नहीं है । अपने जीवन को उस अमर , सहज , शाश्वत , निरन्तर धारा से जोड़े , ऐसी बाते आपको कोई नहीं बताएगा । क्योंकि अगर ये सब बिंदु स्वीकार्य हो जाये तो कोई पंथ और कोई गुरु बचेगा ही नहीं । फिर क्यों कोई संगठन संस्था मिशन पंथ और धर्म इन बातो का समर्थन करेगा । जीवन आपका है , आपको ही उस शाश्वत मार्ग से जुड़ना होगा । क्योंकि आने वाले समय में इतनी विपदाएं आने वाली है कि सभी धार्मिक गुरु और पंथ हाथ खड़ा करने वाले है । क्या जो आप उन्हें समय दे रहे है, उसकी वे जिम्मेदारी लेंगे ? बिलकुल नहीं लेंगे । जीवन आपका है , समझदार को इशारा बहुत होता है ।


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रोग, शोक, संताप से पार जाने का एक मात्र उपाय है, ठहर जाओ ! हम भाग रहे है, कभी इधर, कभी उधर इसीलिए सारे संताप, रोग और शोक को इकठ्ठा कर लिया । दुसरो को भी भागने के लिए प्रेरित करते है, कभी किसी को इसके लिए प्रेरित नहीं किया कि ठहर जा । जो ठहरा उसने सब पाया , जो रुका उस तक सब अपने आप आ गया, जो भागा, वो भागता ही गया , पूरा जीवन निकल गया लेकिन उसकी दौड़ ख़त्म नहीं हुई । मन, वचन, कर्म से परमात्मा की दौड़ को ख़त्म कर दो । तुम में इतना सामर्थ्य नहीं है कि उसको तुम खोज लो इसलिए रुक जाओ ठहर जाओ । दौड़ दौड़ कर लगाया तुम्हारा समय , धन किसी काम का नहीं रहा । मुड़कर देखो, ठहरने वालो ने इतना पा लिया जितना तुम दौड़-दौड़कर हजारो जन्मो में नहीं पा सकते । ठहर कर ही संसार का सुख भी मिलेगा , शरीर में प्रतिरक्षा भी मिलेगी । मान, बड़ाई, प्रतिष्ठा, धन, दौलत के लिए खूब दौड़े लेकिन ऐसी मिली जैसे हिरन को मृगतृष्णा ! ठहर कर ये सब भी मिलेगा और सच में मिलेगा और तृप्ति करने वाला मिलेगा । ठहरने पर तुम पाओगे कि वो तो पास में ही है ।मैं तो फ़िज़ूल ही गुरु के चकरी बना फिरता था । खूब दौड़ाया लोगो ने आपको भगवन के नाम पर और भगवन ठहरने पर मिला । क्या चकोर को कोई सिखाता है कि तू केवल चाँद को ही देख ! क्या पतंगे को कोई आकर ज्ञान देता है कि तू प्रकाश में खुद को फ़ना कर ! तो हम क्यों किसी और से सीखते है कि हमारा चाँद और प्रकाश कौन है । वो खुद तुम्हे बताएगा, जब तुम ठहर जाओगे, रुक जाओगे । तब चकोर को उसका चाँद मिल जायेगा । जिन्होंने भी भागने दौड़ने की कहानियां बनाकर हमारे ऊपर मंढ दी है, उनको किसी को सच्चा सर्वव्यापी राम नहीं मिला, वो आज भी दौड़ ही रहे है, मरकर भी दौड़ रहे है , कभी गुरु, कभी शिष्य बनकर, कभी कल्याणकर्ता बनकर, कभी पीर बनकर, वो अहंकार है कि वो करेंगे कल्याण इसलिए बस युगो-युग दौड़ रहे है, खुद भी भूखे रह गए , दुसरो को भी रख दिया । तृष्णा मिटेगी ठहरकर उस सर्वयापी अथाह महासागर को समर्पित होकर, फिर कौन है जो तुम्हे दौड़ा दे , बस फिर मिला तुम्हे अमर विश्राम । उस समर्थ सच्चे राम को तो बिना खोजे ही पाओगे, उसकी खोज ही यही है कि तन, मन, धन से उसकी खोज को बंद कर दो । फिर देखो तन, मन में वही मिलेगा बाहर भी वही मिलेगा । रोग, शोक, संताप के मिटने की मूल औषधि है सर्वव्यापी राम ! लेकिन खुद से पूछो ! क्या तुम ठहरे उसमे ! अगर नहीं ठहरे तो ठहरो, मन को देखो क्या मन अभी भी किसी की तलाश में है ! अगर तलाश रहा है तो उसको ठहराओ सर्वव्यापी में, तब वो देखेगा कि जो वो ढूंढ रहा था वो मिल गया ।

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