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गुप्त साम्राज्य (300 ई० – 600 ई०)

  1. गुप्त वंश का प्रतीक चिन्ह गरुण है

श्री गुप्त

  1. संस्थापक

  2. पुष्टि समुद्रगुप्त के प्रयाग प्रशस्ति अभिलेख से होती है

  3. महाराजा  की उपाधि धारण की

घटोत्कच

चंद्रगुप्त I (319 – 335)

  1. गुप्त वंश का वास्तविक संस्थापक

  2. महाराजाधिराज की उपाधि ली

  3. 319 AD में गुप्त संवत चलवाया

  4. लिच्छवी राजकुमारी कुमारदेवी के साथ विवाह किया

  5. राजा रानी प्रकार के सिक्के चलवाये  

समुद्रगुप्त (335 – 375)

  1. चंद्रगुप्त I  का बेटा

  2. स्वयं को लिच्छवी दौहित्र लिच्छवियों का नाती तथा पराक्रमांक भी कहता है

  3. भारत के अलग-अलग हिस्से को जीतने के लिए अलग-अलग प्रकार की नीति अपनाई इसलिए अनोखा साम्राज्यवादी कहते हैं

  4. इसको भारत का नेपोलियन भी कहते हैं (विसेंट स्मिथ के अनुसार)

  5. नेपोलियन फ्रांस का शासक था

Coin galleries


  1. नेपोलियन 1815 AD  में वाटरलू (Waterloo) के युद्ध में पराजित हुआ

  2. समुद्रगुप्त के दरबारी कवि हरिषेण ने प्रयाग प्रशस्ति अभिलेख में इसकी तारीफ की है

  3. इस अभिलेख में समुद्रगुप्त के अलावा अशोक की प्रिय पत्नी कौरवकि, जहांगीर और महारानी विक्टोरिया

Allahabad Pillar


की भी जानकारी मिलती है

  1. यह चंपू शैली (गद्य पद्य) में है

  2. इसे (प्रयाग प्रशस्ति अभिलेख) अकबर ने इलाहाबाद के किले में सुरक्षित रखवाया था

  3. वीणा वादन प्रकार के सिक्के चलवाये तथा कविराज की उपाधि ली

  4. बौद्ध भिक्षु बंसुबंधु को संरक्षण दिया

राम गुप्त

  1. राम गुप्त, चंद्रगुप्त II और ध्रुवस्वामिनी के संबंधों पर विशाखदत्त ने देवीचंद्रगुप्तम नामक किताब लिखी है

चंद्रगुप्त II  (375 – 415)

  1. अन्य नाम देव गुप्त

  2. इसके शासनकाल को गुप्त काल का स्वर्ण काल कहते हैं

  3. गुप्त काल में सर्वाधिक सोने के सिक्के जारी हुए

Various coins of Chandragupta II


  1. सर्वाधिक शुद्ध सोने के सिक्के कनिष्क के शासनकाल में जारी हुए

  2. शक शासक  रूद्र सिंह III  को पराजित कर चंद्रगुप्त II  ने शकारि की उपाधि ली

  3. विक्रमादित्य (सूर्य जैसा पराक्रमी) की उपाधि धारण की

  4. पुष्टि – सिंहनिहेंता प्रकार के सिक्के से होती है

  5. इसके शासनकाल में चीनी यात्री फाह्यान भारत (समुद्र के रास्ते से) आया

  6. फाह्यान के अनुसार लोग क्रय विक्रय करने के लिए कौड़ियों का प्रयोग करते थे।

  7. चंद्रगुप्त II  के दरबार में नवरत्न निवास करते थे

  8. दरबारी कवि कालिदास थे

  9. कालिदास को भारत का शेक्सपियर कहते हैं

  10. कालिदास ने संस्कृत भाषा में कई किताबें लिखी हैं

  11. गुप्त काल के दरबार की भाषा संस्कृत है

प्रमुख किताबें –

  1. मालविकाग्निमित्रम्

  2. मेघदूतम

  3. कुमारसंभवम्

  4. रघुवंशम्

  5. अभिज्ञान शकुंतलम

  6. ऋतुसंहार

अन्य दरबारी विद्वान

  1. धनवंतरी – दरबारी चिकित्सक (भारतीय आयुर्वेद के पिता)

  2. अमर सिंह – अमरकोश (डिक्शनरी)

  3. वराहमिहिर – खगोल शास्त्र

  4. खगोल शास्त्र पर वृहत्संहिता लिखी  

  5. क्षपणक – ज्योतिष

  6. शंकु – वास्तुकार

  7. वेताल भट्ट – जादूगर

  8. घटकर्पर – कूटनीतिक

  9. वाराहरुचि – संस्कृत के विद्वान

अन्य महत्वपूर्ण बातें

  1. मालवा के क्षेत्र में चांदी के सिक्के चलावाये

  2. चांदी के सिक्कों को रूप्यक कहते हैं

  3. गुप्त वंश का पहला शासक जिसने चांदी के सिक्के चलावाये

  4. उज्जैन को दूसरी राजधानी बनाया

  5. पहली राजधानी पाटलिपुत्र थी

  6. जंग रहित महरौली स्तंभ लेख चंद्रगुप्त II से संबंधित है

  7. इस अभिलेख को फिरोजशाह तुगलक ने दिल्ली में स्थापित करवाया

कुमारगुप्त

  1. बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय का निर्माण करवाया

  2. इसे ऑक्सफोर्ड ऑफ महायान बौद्ध कहा गया

  3. हर्षवर्धन के शासनकाल में आने वाले हेनसांग ने यहीं पर पढ़ाई की थी

  4. इस विश्वविद्यालय को बख्तियार खिलजी ने नष्ट कर दिया था

  5. बख्तियार खिलजी मोहम्मद गोरी के साथ भारत आया था

  6. बंगाल के पाल वंश के शासक धर्मपाल ने बिहार में विक्रमशिला विश्वविद्यालय का निर्माण करवाया जो बौद्ध धर्म को मानता है

Nalnda University


  1. कुमारगुप्त ने सर्वाधिक अभिलेख (लगभग 8) तथा सर्वाधिक प्रकार के सिक्के जारी किए जिसमें सर्वाधिक मयूर प्रकार के थे

  2. इसने स्वंगनिहेता (गेंडे को मारते हुए) प्रकार के सिक्के से असम (कामरूप) विजय की पुष्टि होती है

स्कंद गुप्त

  1. पहली बार हूणों का आक्रमण लेकिन असफल रहा

  2. घटना की जानकारी भीत्तरी अभिलेख (गाज़ीपुर उत्तर प्रदेश) से मिलती है

  3. इसके जूनागढ़ अभिलेख में सुदर्शन झील के बांध के पुनर्निर्माण का विवरण

गुप्त काल की अन्य महत्वपूर्ण बातें

  1. भानु गुप्त के एरण अभिलेख से सती प्रथा के बारे में पहली बार जानकारी मिलती है

  2. पहली बार किसी के सती होने का प्रमाण 510 ई० में मिलता है, जिसमे किसी भोजराज की मृत्यु पर उसकी पत्नी के सती होने का उल्लेख है

  3. विष्णुगुप्त गुप्त काल का अंतिम शासक

  4. इनका प्रमुख व्यापार ताम्रलिपि (बंगाल) बंदरगाह से होता था

  5. कर रहित कृषि भूमि जिसे अग्रहर कहते हैं ब्राह्मणों को दान में दी जाती थी

  6. राष्ट्रीय मुद्रा दीनार (स्वर्ण मुद्रा) थी

  7. गुप्त काल का वैष्णो धर्म से  संबंधित सर्वोत्कृष्ट मंदिर “देवगढ़ का दशावतार मंदिर” है जो कि झांसी में है

Dashavatar Temple

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संस्थापक – गौतम बुद्धबुद्ध का वास्तविक नाम सिद्धार्थ थाबुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में कपिलवस्तु  के लुंबिनी नामक स्थान पर हुआ थाजन्म का प्रतीक चिन्ह सांड  और कमल का फूलपिता का नाम शुद्धोधन जो कपिलवस्तु के शाक्य गणराज्य के राजा थेमाता का नाम महामाया था  जो कोलिय वंश की थीमहामाया की मृत्यु सिद्धार्थ के जन्म के 7 दिन बाद हुईसिद्धार्थ का पालन पोषण उनकी मौसी प्रजापति गौतमी ने किया इसीलिए सिद्धार्थ गौतम के नाम से भी जाने जाते हैंनंद इनके सौतेले भाई थेसिद्धार्थ के जन्म के समय कालदेवल ने भविष्यवाणी की थी कि यह बालक आगे चलकर बुद्ध (ज्ञानी) होगासिद्धार्थ का विवाह 16 वर्ष की अवस्था में कोलिय वंश की यशोधरा नामक कन्या से हुआसिद्धार्थ को राहुल नामक पुत्र की प्राप्ति हुईसिद्धार्थ ने सारथी चन्ना और घोड़े  कंधक के साथ नगर की चार बार यात्रा की29 वर्ष की अवस्था में सिद्धार्थ ने घर का त्याग कियासिद्धार्थ के गृह त्याग को बौद्ध साहित्य में ‘महाभिनिष्क्रमण’ कहा गयाप्रतीक चिन्ह – घोड़ाघर के त्याग के बाद बुद्ध पूर्व दिशा की ओर गए तथा अपने प्रथम 7 दिन एक आम के बगीचे में बिताएआम के बगीचे का नाम अनुपिय्य थाफिर वैशाली गएइनकी  मुलाकात इन के पहले गुरु  अलारकलाम से हुई, जो सांख्य दर्शन के विद्वान थेराजगृह में इनकी मुलाकात बिंबिसार और उद्दकरामपुत्त  से हुईसिद्धार्थ ने उद्दकरामपुत्त  से योग सीखाउरुवेला में सिद्धार्थ ने अपने पांच साथियों के साथ तपस्या की लेकिन ज्ञान प्राप्त नहीं हुआसिद्धार्थ द्वारा उरुवेला ग्राम की मुखिया की बेटी सुजाता द्वारा भोजन ग्रहण करने के विरोध में उनके 5 साथी, इनका साथ छोड़ कर ऋषिपत्तनम (सारनाथ) चले गएसिद्धार्थ अब बोधगया में निरंजना नदी के किनारे पीपल के वृक्ष के नीचे समाधि लगाते थेसमाधि लगाने के 8 दिन बाद वैशाख पूर्णिमा के दिन सिद्धार्थ को अंततः ज्ञान की प्राप्ति हुईज्ञान प्राप्ति के बाद सिद्धार्थ गौतम बुद्ध(ज्ञानी) कहलाएज्ञान प्राप्त की घटना को बौद्ध साहित्य में ‘संबोधी’ (ज्ञान की प्राप्ति) कहते हैंप्रतीक चिन्ह- बोधि वृक्षबुद्ध, बोधगया से सारनाथ आएसारनाथ में इन्होंने अपना पहला उपदेश अपने पांच साथियों को दियाइस घटना को बौद्ध साहित्य में ‘धम्मचक्रपरिवर्तन’ कहते हैंप्रतीक चिन्ह- पहियाबुद्ध ने सारनाथ में ही अपने धर्म के प्रचार प्रसार के लिए ‘संघ’ का निर्माण कियाबौद्ध धर्म के तीन रत्न-


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